विकल्प जन सांस्कृतिक मंच और राजकीय मंडल पुस्तकालय, कोटा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्रेमचंद जयंती समारोह में सवाई माधोपुर से पधारे मुख्य अतिथि साहित्यकार रमेश वर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रेमचंद ग्राम्य जीवन के चितेरे थे, उनका हर पात्र देश के गरीबों की समस्याओं से जूझते हुए अंग्रेजों और सामंतों की गुलामी से मुक्ति चाहता है। उनका साहित्य आज ही प्रासंगिक है और हमें समाज के आगे चलने वाली मशाल की तरह रोशनी दिखाता है।
समारोह में महान् साहित्यकार प्रेमचंद के साथ साथ प्रसिद्ध फिल्मी गायक मोहम्मद रफी और क्रांतिकारी शहीद ऊधम सिंह को भी उनके स्मृति दिवस पर याद किया गया।
समारोह में आयोजित परिचर्चा ” प्रेमचंद साहित्य में सामाजिक परिवर्तन के स्वर” का प्रारंभ करते हुए डा. उषा झा ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने युग और समय का चित्रण करते हुए भी उनका अतिक्रमण किया। उन्होंने अपनी कहानियों और उपन्यासों में ही उन सामाजिक कुरीतियां और धार्मिक रूढ़ियों का खण्डन किया और उस सांप्रदायिकता से लड़ने की जरूरत बताई जिससे आज भी हमारा देश समाज जूझ रहा है। उन्होंने प्रेमचन्द को स्त्री मुक्ति का सबसे बड़ा लेखक बताया। वरिष्ठ साहित्यकार अंबिका दत्त ने प्रेमचंद के लेखकीय संघर्ष की महत्ता बताते हुए कहा कि वे भारत ही नहीं विश्व साहित्य के ऐसे चितेरे थे जिन्होंने न केवल दुनिया के पटल पर पतन की ओर बढ़ती हुई प्रभुत्वशील शक्तियों और नई उभरती हुई मज़दूर किसान ताकतों के द्वंद्व के बीच एक नए परिवर्तन के सपनों को जगाने वाली भूमिका निभाई।
परिचर्चा में सार्थक हस्तक्षेप करते हुए कहा कि प्रेमचन्द हमारे ग्रामीण परिवेश के ही नहीं नगरों में आ रहे सामाजिक प्रदूषण और शोषण दमन के विरूद्ध सक्रिय कलम के सच्चे सिपाही थे और आज भी हमें प्रेमचन्द का साहित्य दिशा दिखाता है।
सभा का संचालन करते हुए प्रोफेसर संजय चावला ने प्रेमचंद के जीवन के अनेक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि प्रेमचन्द की दृष्टि से समाज का कोई भी हिस्सा ओझल नहीं हुआ। वे सही मायनों में देश के दलितों, वंचितों और प्रगतिशील समाजों के प्रतिनिधि थे।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डा. नरेन्द्र चतुर्वेदी ने कहा कि प्रेमचंद ने राजा महाराजाओं,सेठ साहूकारों और रहस्य लोक में उलझे साहित्य को किसानों की ज़िंदगी से जोड़ कर अपने उपन्यासों का नायक बनाया। उनके पात्र सजीव और अपनी पीड़ाओं को व्यक्त करने वाले बहादुर पात्र हैं।उन्होंने देश समाज को अपने कलम से जगाने और बदलाव का संदेश दिया।
समारोह के अंत में कोटा अंचल के प्रतिनिधि लेखक _ लेखिकाओं अंबिका दत्त चतुर्वेदी, डा. कृष्णा कुमारी, डा. उषा झा, सत्येन्द्र वर्मा, रतन लाल वर्मा और किशन प्रणय को राजकीय मंडल पुस्तकालय द्वारा पुरस्कृत किया गया। डा. नरेन्द्र नाथ चतुर्वेदी को विकल्प सृजन सद्भावना सम्मान प्रदान किया गया।
समारोह मेंसार्वजनिक मंडल पुस्तकालय के संभागीय अध्यक्ष डा. दीपक श्रीवास्तव, विकल्प के अध्यक्ष किशन लाल वर्मा, रंगकर्मी नारायण शर्मा, नंद किशोर एवं जन कवि महेन्द्र नेह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। समारोह में कोटा के प्रमुख और युवा पीढ़ी के रचनाकारों ने उपस्थिति हो कर दिवंगत लेखक सुरजीत पातर, डा. ओंकार नाथ चतुर्वेदी, फिलीस्तीन के नागरिकों सिर वायनाड की प्राकृतिक आपदा के शिकार मृतकों को मौन रह कर श्रद्धांजलि अर्पित की।